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रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग में अब भारतीय युवाओं का इस्तेमाल

गौरव बासी

जालंधर, 7 मार्च,

रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग में अब भारतीय युवाओं का इस्तेमाल हो रहा है। बीते दिन पंजाब और हरियाणा से टूरिस्ट वीजा पर रूस गए युवकों को धोखा देकर जबरदस्ती आर्मी में भर्ती करवाया लिया गया। रूस में फंसे पंजाब के होशियारपुर (दोआबा) के रहने वाले गुरप्रीत से हमारी टीम की बातचीत हुई तो उसने सारी आप बीती सुनाई। जिसमें उसने कई अहम खुलासे किए।

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उन युवकों को 15 दिन ट्रेनिंग देने के बाद उन्हें यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए भेज दिया गया। करीब सात भारतीय युवाओं ने रूस से आर्मी की वर्दी पहनकर एक वीडियो सांझा किया था। जिसमें इन सभी बातों को खुलासा हुआ। जारी किए गए वीडियों में 5 युवक पंजाबी और दो हरियाणवी हैं। पंजाबियों में चार युवक दोआबा क्षेत्र के रहने वाले हैं।

पंजाब के होशियारपुर के गांव हाल्टा के रहने वाले गुरप्रीत ने कहा- हम गलती से बैलारूस में घुस गए थे। जहां से हमें पकड़ लिया गया। अगले दिन सभी को वापस रूस आर्मी के हवाले कर दिया गया। दो दिन हमें एक बंद कमरे में रखा गया। तीसरे दिन मुझे और मेरे सभी साथियों को किसी बड़े अधिकारी के ऑफिस में पेश किया गया।

सभी अधिकारी रशियन भाषा में बात कर रहे थे, कोई भी अधिकारी इंग्लिश में बात नहीं कर रहा था। सुबह से लेकर शाम तक हमारे साथ अधिकारियों ने हमारे साथ बातचीत थी। किसी को कुछ समय नहीं आया तो वहां के अधिकारियों ने एक हिंदी बोलने वाले व्यक्ति के साथ उनकी बात करवाई। जिसे वहां की भाषा भी आती थी और हिंदी भी अच्छी तरह से आती थी।

हिंदी बोलने वाले व्यक्ति ने हमें बताया कि आप रूस आर्मी जॉइंन कर लें। जिससे आपको बहुत फायदा होगा। गुरप्रीत ने कहा- हम सभी ने आर्मी जॉइंन करने से साफ मना कर दिया था। हिंदी बोलने वाले व्यक्ति द्वारा उन्हें तरह तरह के लालच दिए गए, मगर कोई भी साथी नहीं माना। जिसके बाद उन्हें डराना शुरू कर दिया गया। हिंदी बोलने वाले व्यक्ति ने कहा- अगर वह आर्मी नहीं जॉइंन करते तो वह सभी को दस दस साल की कैद होगी।

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गुरप्रीत ने कहा- हमने अधिकारियों की मिन्नतें की, मगर कोई भी अधिकारी हमारी एक भी बात सुनने को तैयार नहीं था। दस साल की सजा का नाम सुन कर सभी साथी घबराए हुए थे। इस पर सभी ने सलाह की कि वह एक साल नौकरी करेंगे। अधिकारियों ने वहां की भाषा में लिखा गया कॉन्ट्रैक्ट उनके साथ साइन किया। उनके फोन जमा कर लिए गए थे।

सब कुछ होने के बाद उन्हें मोस्को में शिफ्ट कर दिया गया। पहले तो कहा गया था कि उन्हें आर्मी में सिर्फ हैलपर का काम करना है, ज्यादा कुछ नहीं। करीब सात दिन वह मोस्को में रहे, जिसके बाद उन्हें एक अन्य कैंप में भेज दिया गया। जहां पर उनकी करीब 15 दिनों तक ट्रेनिंग हुई। ट्रेनिंग के दौरान उन्हें उनके फोन मिल चुके थे। ट्रेनिंग खत्म होते ही उन्हें वॉर जोन में भेज दिया गया। जहां अभी जंग चल रही है। जिसके बाद उन्होंने सिम खीरद कर अपनी आप बीती परिवार को बताई और भारत सरकार से मदद के लिए गुहार लगाई।

गुरप्रीत ने कहा- हमारी मांग है कि भारत सरकार हमें जल्द से जल्द वापस लाने का प्रयास शुरू करे। गुरप्रीत ने कहा- हमारी आंखों के सामने कई भारतीय मारे गए हैं। गुरप्रीत ने बताया कि उनके साथ अभी फिलहाल सात लोग हैं, जिसमें दो लोग हरियाणा हैं और पांच पंजाबी युवक हैं। पिछले कैंप में और भी भारतीय लोग थे, जोकि रूस आर्मी के चंगुल में फुंसे हुए हैं।

परिवार ने कहा- गुरप्रीत टूरिस्ट वीजा पर गया था विदेश

जालंधर के रहने वाले गुरप्रीत के भाई अमृत सिंह ने बताया कि उसका भाई पिछले साल 27 दिसंबर को रशिया घूमने के लिए गया था। वह रूस में घूमते घूमते बैलारूस में घुस गए। जहां उन्हें वहां की पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया और रूस आर्मी के हवाले कर दिया गया। जहां बॉर्डर पर तैनात आर्मी ने कहा- या तो आप दस साल की सजा भगत लो यां फिर एक साल के लिए हमारी आर्मी जॉइंन कर लो।

अमृत ने कहा- गुरप्रीत ने बातचीत में बताया कि उन्होंने अपना भला देखते हुए एक साल के लिए आर्मी जॉइंन करना ही सही समझा। जॉइंनिग से पहले 15 दिनों तक गुरप्रीत को हथियारों सहित अन्य चीजों की ट्रेनिंग दी गई। अमृत ने कहा- मेरा भाई को आर्मी द्वारा जंग वाली जगह पर भेज दिया गया है।

अभी वह पूरी तरह से ट्रेंड नहीं है। जिसके चलते उनकी जान को खतरा है। इसलिए मेरा भाई वापस आना चाहता है। अमृत ने कहा- सभी को पैसे के चक्कर में एक ट्रैक्सी ड्राइवर द्वारा फंसाया गया था। बता दें कि गुरप्रीत के पिता विदेश मस्कट में हैं। रूस में फंसे इन भारतीयों ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भारत लौटने में मदद करने की अपील की है।

वायरल वीडियो में भारतीयों के दो बड़े दावे…

1. एजेंट ने रूस के हाईवे पर छोड़ा, पुलिस ने पकड़कर आर्मी को सौंपा

105 सेकेंड का वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें 7 लोग एक गंदे कमरे में खड़े हैं। उनमें से गगनदीप सिंह नाम का व्यक्ति पूरा मामला बता रहा है। बाकी 6 कोने में छिपे हुए हैं।

गगनदीप बताता है कि वे नए साल में रूस घूमने आए थे। एक एजेंट ने उन्हें कई जगहों पर घुमाया। इसके बाद एजेंट ने कहा कि वो बेलारूस ले जाएगा। उन लोगों को नहीं पता था कि बेलारूस घूमने के लिए वीजा लगता है। इसके बाद एजेंट पैसा मांगने लगा। सभी लोगों ने जितने पैसे थे, एजेंट को दे दिए। इसके बाद बाकी पैसे न देने पर एजेंट ने उन भारतीयों को हाईवे पर छोड़ दिया, जहां उन्हें पुलिस ने पकड़कर रूस की आर्मी को दे दिया।

2. आर्मी ने कागजात पर जबरदस्ती साइन करवाकर युद्ध की ट्रेनिंग दी

रूस की आर्मी ने धमकी दी कि सभी लोग जॉब करने को लेकर एक कॉन्ट्रैक्ट साइन कर लें, नहीं तो उन्हें 10 साल की सजा होगी। इसके बाद आर्मी ने सभी से हस्ताक्षर करवा कर ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी। तब जाकर भारतीयों को पता चला कि उनके साथ धोखा हुआ है।

गगनदीप का कहना है कि उन्हें बंदूक चलाना भी नहीं आता। रूस कभी भी उन्हें यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए तैनात कर सकता है। कई भारतीयों को पहले ही युद्ध के लिए भेजा जा चुका है।

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